Rabindranath Tagore Jayanti [रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती]

रबींद्रनाथ टैगोर जयंती, जिसे रबींद्र जयंती के रूप में भी जाना जाता है, साहित्य और कला के इतिहास में सबसे प्रमुख साहित्यिक हस्तियों, कवियों और बहुश्रुतों में से एक, रबींद्रनाथ टैगोर की जयंती मनाने के लिए भारत और दुनिया भर में एक वार्षिक उत्सव है। 7 मई (बंगाली महीने बोइशाख का 25वां दिन) को मनाया जाने वाला यह दिन, साहित्य, संगीत, कला और भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण में टैगोर के विशाल योगदान को श्रद्धांजलि देता है।

Rabindranath Tagore Jayanti [रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती]

रवीन्द्रनाथ टैगोर: एक पुनर्जागरण पुरुष:

रवीन्द्रनाथ टैगोर, जिन्हें अक्सर "बंगाल का कवि" और "कबीगुरु" कहा जाता है, का जन्म 1861 में कलकत्ता (अब कोलकाता), भारत में एक प्रमुख बंगाली परिवार में हुआ था। वह एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे जिन्होंने साहित्य, कविता, संगीत, कला, शिक्षा और सामाजिक सुधार सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपनी अमिट छाप छोड़ी।

टैगोर की साहित्यिक कृति व्यापक है और इसमें कविता, लघु कथाएँ, उपन्यास, निबंध और नाटक शामिल हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति, "गीतांजलि" (सॉन्ग ऑफरिंग्स) ने उन्हें 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार दिलाया, जिससे वह नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले एशियाई बन गए।

साहित्यिक विरासत:

टैगोर की कविता अपने गहन आध्यात्मिक और दार्शनिक विषयों के लिए प्रसिद्ध है। उनके छंद अक्सर मानवता, प्रकृति और परमात्मा के बीच संबंध का पता लगाते हैं। "गीतांजलि" कविताओं का एक संग्रह है जो भक्ति, प्रेम और लालसा की गहरी भावना व्यक्त करता है। इसकी सबसे प्रसिद्ध पंक्तियों में से एक है "जहां मन भय रहित हो और सिर ऊंचा रखा जाए," जो पीढ़ियों को प्रेरित करती रहती है।

उनका साहित्यिक योगदान कविता से भी आगे तक फैला हुआ था। उन्होंने "द होम एंड द वर्ल्ड" और "गोरा" सहित कई उपन्यास लिखे, जिन्होंने अपने समय के भारतीय समाज के संदर्भ में जटिल सामाजिक और राजनीतिक विषयों की खोज की।

Amazon prime membership

संगीत में निपुणता:

टैगोर न केवल एक प्रखर कवि थे, बल्कि एक प्रतिभाशाली संगीतकार और संगीतकार भी थे। उन्होंने भारत के राष्ट्रगान, "जन गण मन" के लिए संगीत और गीत तैयार किये। उनके गीत, जिन्हें सामूहिक रूप से "रवींद्र संगीत" के नाम से जाना जाता है, बंगाली संस्कृति का अभिन्न अंग बने हुए हैं और उनकी गीतात्मक सुंदरता और भावनात्मक गहराई के लिए मनाए जाते हैं।

कलात्मक उपलब्धियाँ:

टैगोर एक कुशल चित्रकार और दृश्य कलाकार भी थे। उनकी कला कृतियाँ उनकी रचनात्मक भावना को दर्शाती हैं और अक्सर प्रकृति से प्रेरणा लेती हैं। उनके चित्रों की विशेषता उनकी सादगी, जीवंत रंग और प्राकृतिक रूपांकनों का उपयोग है।

शैक्षिक दृष्टि:

टैगोर शिक्षा के क्षेत्र में दूरदर्शी थे। उन्होंने पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना की, जो शिक्षा, कला और संस्कृति का केंद्र बन गया। उनके शैक्षिक दर्शन ने समग्र विकास, रचनात्मकता और प्रकृति के साथ घनिष्ठ संबंध पर जोर दिया। आज विश्वभारती टैगोर के सिद्धांतों और आदर्शों को कायम रखे हुए है।

समाज सुधारक:

टैगोर सामाजिक सुधार के भी मुखर समर्थक थे और उन्होंने अपने समय में प्रचलित सामाजिक अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने महिलाओं के अधिकार, सभी के लिए शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे मुद्दों का समर्थन किया। सार्वभौमिकता और मानवतावाद पर उनके विचार सामाजिक कार्यकर्ताओं और सुधारकों को प्रेरित करते रहते हैं।

रवीन्द्र जयंती समारोह:

रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती भारत में, विशेषकर पश्चिम बंगाल में और दुनिया भर में बंगाली समुदायों के बीच बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। इस दिन को विभिन्न गतिविधियों और आयोजनों द्वारा चिह्नित किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:

  • सांस्कृतिक प्रदर्शन: स्कूल, कॉलेज और सांस्कृतिक संस्थान आयोजित करते हैं
     

इसे भी पढ़े - NATIONAL GRAB SOME NUTS DAY [ नेशनल ग्रैब सम नट्स डे]


Written by : Sunil Bhambhu
Published at: Sat, Nov 18, 2023 10:34 AM
Share with others