Pongal Festival [पोंगल त्यौहार]

पोंगल चार दिवसीय फसल उत्सव है जो मुख्य रूप से दक्षिणी भारतीय राज्य तमिलनाडु में मनाया जाता है। यह 15 जनवरी होता है और भरपूर फसल के लिए आभार व्यक्त करते हुए सूर्य देव को समर्पित है।

Pongal Festival [पोंगल त्यौहार]

पोंगल त्योहार: तमिलनाडु का एक प्रमुख पर्व

पोंगल दक्षिण भारत, विशेष रूप से तमिलनाडु, का एक महत्वपूर्ण और लोकप्रिय त्योहार है। यह त्योहार फसलों की कटाई के समय मनाया जाता है और यह किसानों की कड़ी मेहनत और फसलों की समृद्धि के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। पोंगल त्योहार का महत्व केवल कृषि तक सीमित नहीं है, बल्कि यह तमिल संस्कृति और परंपराओं का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

पोंगल का अर्थ और महत्त्व

'पोंगल' शब्द तमिल भाषा के 'पोंगु' शब्द से बना है, जिसका अर्थ है 'उबालना'। इस पर्व के दौरान चावल को दूध में उबालकर खास व्यंजन तैयार किया जाता है, जिसे पोंगल कहा जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से सूर्य देवता को समर्पित होता है और उन्हें धन्यवाद देने का एक माध्यम है।

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पोंगल का चार दिवसीय उत्सव

पोंगल का त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें हर दिन का अपना विशेष महत्व होता है।

  • भोगी पोंगल: पहला दिन भोगी पोंगल के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग पुराने कपड़ों और बेकार चीजों को जलाकर नया जीवन आरंभ करते हैं। घरों की सफाई और सजावट की जाती है और नई वस्तुएं खरीदी जाती हैं।
  • सूर्य पोंगल: दूसरा दिन मुख्य पोंगल का दिन होता है। इस दिन सूर्य देवता की पूजा की जाती है। लोग नए बर्तनों में चावल, दूध और गुड़ मिलाकर पोंगल पकाते हैं। पकवान तैयार होने पर 'पोंगालो पोंगल' के जयकारे लगाए जाते हैं और इसे सूर्य देवता को अर्पित किया जाता है।
  • मट्टू पोंगल: तीसरा दिन मट्टू पोंगल के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गायों और बैलों की पूजा की जाती है। उन्हें सजाया जाता है और उनके लिए विशेष पकवान तैयार किए जाते हैं। यह दिन पशुधन के महत्व को दर्शाता है, जो कृषि कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • कानुम पोंगल: चौथा और अंतिम दिन कानुम पोंगल होता है। इस दिन लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। परिवार के सदस्य पिकनिक पर जाते हैं और विभिन्न खेल खेलते हैं।
     

पोंगल की परंपराएं और रीति-रिवाज

पोंगल के दौरान कई परंपराएं और रीति-रिवाज निभाए जाते हैं। घरों के आंगन को रंग-बिरंगी रंगोली से सजाया जाता है। महिलाएं पारंपरिक परिधान पहनती हैं और विशेष लोकगीत गाती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बैल दौड़ और कंबाला जैसी पारंपरिक खेलों का आयोजन करते हैं।

पोंगल व्यंजन

पोंगल के दौरान विशेष व्यंजन तैयार किए जाते हैं। मुख्य व्यंजन 'पोंगल' है, जिसे चावल, दूध और गुड़ से बनाया जाता है। इसके अलावा मीठे और नमकीन पोंगल, वड़ा, पायसम और अन्य स्थानीय व्यंजन भी तैयार किए जाते हैं।

पोंगल का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

पोंगल केवल एक कृषि पर्व नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह त्योहार लोगों को एकजुट करता है और समाज में प्रेम, भाईचारे और सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है।

निष्कर्ष

पोंगल तमिलनाडु की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह त्योहार न केवल कृषि की समृद्धि को दर्शाता है, बल्कि तमिल समाज की परंपराओं और रीति-रिवाजों को भी उजागर करता है। पोंगल के चार दिन तमिलनाडु के लोगों के जीवन में उत्साह और उमंग भर देते हैं, जिससे यह पर्व और भी खास बन जाता है।

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Written by : Deep
Published at: Fri, Oct 20, 2023 9:05 AM
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